परिचय - धर्मविभूषण पं. श्री ब्रजेश मिश्रा, महाराज जी
लघु काशी ‘गढ़ा’ प्राचीन काल से गौडवाना सम्राज्य की एतिहासिक धरोहर है | यहाँ पर अनेकों प्राचीन स्मारक एवं सिद्ध मंदिर हैं जो संतों, तपस्वी, विद्वानजनों के पुण्य प्रतापों से गढ़ित है | इसके दक्षिण में माँ ब्रम्हाचारणी नर्मदा के पावन तट पर विराजित हैं जिनकी निर्मल कृपा से समस्त भक्तों का कल्याण हो रहा है जाबालि ऋषि की तपो स्थली जाबालिपुरम के मध्य स्थित गढ़ा के केंद्र में प्राचीनकाल से स्थित है ‘हनुमानबाग’|
हनुमानबाग धाम की महिमा का वर्णन कर पाना एक अद्वतीय परिकल्पना है जहाँ प्रभु कृपा के नित्य, चमत्कार देख रहा हूँ | जो भक्त इस दर पर आये, प्रभु चरणों में अपनी कष्ट बाधा हेतु प्रार्थना की, प्रभु ने उनको कभी निराश नहीं किया
अपतु उनके कर्मों के अनुसार उन्हें फल प्रदान किया| पावन धरा हनुमानबाग स्वयं सिद्ध स्थल है | जहाँ पूर्वमुखी विप्रवर्ण श्री अंजनी नंदन हनुमान जी भक्तों पर अपनी अमृत, करुणामयी, कृपाद्रष्टि रख उनके कष्टों का हरण कर उन्हें सुख प्रदान करते हैं| अनेकों दिव्य चमत्कारों का दर्शन एवं अनुभव मैंने एवं प्रभु कृपा प्राप्त भक्तों ने स्वयं किया है| मैं तो अपने आप को धन्य मानता हूँ जो प्रभु ने मुझे इस पावन भूमि में दर्शन एवं अपनी चरणों में सेवा का अवसर प्रदान किया हैं|
एक दिन मंदिर परिसर में ही श्रीराम भक्त हनुमान जी की अभिप्रेरणा से श्री राजाराम के राज दरबार की स्थापना का विचार आया| प्रभु कृपा से 27 नवम्बर 2007 को इसके भूमि पूजन के साथ समूर्ण राम दरबार की स्थापना का संकल्प लिया| श्री राजाराम की दिव्य छवि में जब प्रभु 14 वर्षों का वनवास पूर्ण कर पावनपुरी अयोध्या वापस आये, ग्रामवासियों ने प्रभु के पावन दर्शन किये और राज तिलक की तैयारी की और वह पवित्र शुभ दिवस आया जब प्रभु श्रीराम अयोध्या के राज सिंहासन पर विराजित हुए| श्रीराजा राम राजदरबार में प्रभु श्रीराम के संग में जगत जननी माता सीता वाम में विराजी एवं प्रभु के दायें ओर भरत जी विराजमान हुये| भगवान श्रीराम के सिंहासन के बायीं ओर लक्ष्मण जी तथा चरणों में दायीं ओर श्री हनुमान जी तथा चरणों में बाएं तरफ शत्रुघन जी, पीठ में बायीं ओर श्री गणेश जी, शिवजी तथा पीठ में दायीं ओर ब्रम्हा जी, वशिष्ठ की तथा देवर्षि नारदजी सुशोभित हुये | श्रीराम राज्याभिषेक के उस क्षण के मनोहर दृश्य को मूर्ति छवि का साकार रूप श्रीराजराम दरवार में देखकर दर्शन की अभिलाषा पूर्ण हुयी | भगवान श्रीराजाराम चन्द्र जी की असीम कृपा एवं भक्तों के अद्वतीय सहयोग, श्रद्धा एवं समर्पण से 29 मार्च 2015 को श्रीराजराम दरवार की स्थापना का संकल्प पूर्ण हुआ |
यह अतिश्योक्ति नहीं होगी कि संभवतः हनुमानबाग में विराजित श्रीराजाराम दरवार भारत वर्ष में पहला सम्पूर्ण राम दरवार है | आप सभी भक्त हनुमानबाग मंदिर में आकर मनोहारी श्रीराजाराम दरवार का दर्शन करें एवं पुण्य लाभ प्राप्त करें |
“प्रभु की कृपा भयहू सब काजू | जन्म हमार सुफल भा आजू ||” बोलिये श्रीराजरामचन्द्र की जय.....